किसानों को खेत में लगे भीषण आग, लगभग 100 बीघे का गेहूं हुए राख…

दिघवारा प्रखंड के दियारा क्षेत्र अवस्थित रामनगर रामदासचक मौजे के खेतों में रविवार की दोपहर लगी आग से आधा दर्जन से अधिक किसानों के मेहनत जल कर खाक हो गए. हालांकि आग लगने की सटीकता को प्रमाणित नहीं किया गया है, लोगों को कहना है कि बहुत गर्मी के वजह से आग लग गया है, तो किसी ने चिलम से निकली चिंगारी से खेत में तैयार फसल में आग लगने का कारण बताया है. ग्रामीणों व फायर ब्रिगेड के कर्मियों के प्रयास से किसी तरह आग पर काबू पाया गया तब तक आधा दर्जन से अधिक किसानों के खेत पूरी तरह जलकर राख हो गया. बताया गया कि किसानों ने जब खेत से उठते धुएं का अंबार और आग की ऊंची उठती लपटों को देखा तो भौचक्का रह गए, उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी. आनन-फानन में आग पर काबू पाने के लिए दौड़े-भागे खेतों में पहुंचे. तब तक करीब सौ बीघे से अधिक खेत में तैय्यार गेहूं की फसल आग की चपेट में आ गयी. पहले तो किसानों ने अपने स्तर से आग पर काबू पाने का प्रयास किया, आग की चपेट में आए खेतों में ट्रैक्टर के मदद से कटिंग करना शुरू किया ताकि आग फैलाने की रास्ता रुक सके, आसपास के मोटर पम्प से पानी डाला तथा इसकी सूचना प्रशासन को दी. मौके पर तीन दमकल की गाड़ियां पहुँच कर दमकल कर्मियों व ग्रामीण के कड़े मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया. घटना से किसानों के गाढ़े पसीने की कमाई राख में तबदील हो गई. अगलगी की इस घटना में गांव के आधा दर्जन से अधिक किसानों के अरमान झुलस गए. अगलगी में गांव के हरेराम सिंह, देबी सिंह, मनीष बाबा, जनक राय, रामनाथ सिंह, इंद्रदेव सिंह समेत अन्य किसानों की फसल पूरी तरह जल गई है. अगलगी की इस घटना से किसानों पर पहाड़ टूट पड़ा है. किसी ने कर्ज लेकर खेती की थी तो किसी ने दुसरों की खेत में कड़ी मेहनत से. अनुमान है कि अगलगी से करीब पचास-साठ लाख से अधिक की फसल जल गई है.
किसानों का कहना है कि हर साल ऐसी आगलगी होती रहती है पर इसपर किसी सरकारी अधिकारियों का ध्यान नहीं जाता. बाद में आकर बस उनका सांत्वना मिलता है. उन्होंने फसल कटनी के समय दमकलों को रहना अति आवश्यक बताया ताकि ससमय किसानों, अधिकारियों और सरकार को ऐसी भयावह परिस्थितियों से बचा जा सके. उनके जीने का आधार फसल है और उन्होंने अपने मुआवज़े की मांग को भी रखा.

 

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